उत्तराखंड में बादल फटा: 15 की मौत, 16 लापता, करोड़ों की संपत्ति को नुकसान
चरण 1: घटना का सारांश
मंगलवार तड़के उत्तराखंड के देहरादून और आसपास के जिलों में बादल फटने से भारी तबाही मच गई। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है और 16 लोग लापता बताए जा रहे हैं। तेज बारिश और भूस्खलन ने नदी-नालों को उफान पर ला दिया, जिससे कई गांव प्रभावित हुए।
चरण 2: सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र
देहरादून में मालदेवता, सहस्त्रधारा, मंझयाड़ा और कार्लीगाड़ सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहे।
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सहस्त्रधारा इलाके में पिछले 24 घंटे में 264 मिमी बारिश दर्ज की गई।
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नैनीताल में भी 105 मिमी वर्षा दर्ज की गई।
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SDRF और जिला प्रशासन लगातार राहत-बचाव कार्यों में जुटा हुआ है।
चरण 3: मृतकों की पहचान
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार—
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13 शव देहरादून से मिले,
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1 शव पिथौरागढ़ और
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1 शव नैनीताल से बरामद हुआ।
देहरादून में पहचाने गए शवों में:
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7 लोग मुरादाबाद (यूपी) से,
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1 संभल से,
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1 नेपाल से,
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1 लुधियाना से और
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2 देहरादून से हैं।
1 शव की अभी पहचान नहीं हो पाई है।
चरण 4: The Apna Times दर्दनाक घटनाएं
देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र में एक ट्रैक्टर नदी के तेज बहाव में बह गया, जिसमें लगभग 15 लोग सवार थे।
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SDRF ने अब तक 5 शव बरामद किए हैं।
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पुलिस ने 3 शव निकाले।
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2 लोगों को जीवित बचा लिया गया है।
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एक बच्चे का शव भी नदी से मिला।
इस बीच SDRF ने 70 से अधिक लोगों को बचाया और प्रेमनगर की एक यूनिवर्सिटी में फंसे 250 छात्रों को सुरक्षित निकाला।
चरण 5: नुकसान का आकलन
बादल फटने और बाढ़ से बुनियादी ढांचे को भारी क्षति पहुंची है।
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13 पुल क्षतिग्रस्त (लगभग 1.5 करोड़ का नुकसान)
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21 सड़कें टूटी (1.2 करोड़ का नुकसान)
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12 कृषि क्षेत्र प्रभावित (2.3 करोड़ का नुकसान)
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तटबंधों को भी 1.7 करोड़ की क्षति
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कुल मिलाकर नुकसान 10 करोड़ रुपये से अधिक आंका जा रहा है।
इसके अलावा:
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कई मकान, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र और सामुदायिक भवन ध्वस्त हो गए।
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13 दुकानें, 8 होटल और 3 रेस्टोरेंट को भी भारी नुकसान पहुंचा।
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सहस्त्रधारा–कार्लीगाड़ रोड 9 से ज्यादा जगहों पर धंस गई।
चरण 6: प्रशासन की तैयारी
देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने घोषणा की है कि प्रभावित परिवारों को 3 महीने तक 4000 रुपये प्रति माह किराए के लिए मुआवजा दिया जाएगा।
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PWD और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की टीमें सड़कों को खोलने के लिए काम कर रही हैं।
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प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविरों में सूखा राशन और भोजन पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
चरण 7: बादल फटने की घटना क्या है?
बादल फटना एक दुर्लभ मौसमीय घटना है, जिसमें बहुत ही छोटे क्षेत्र में अचानक भारी बारिश होती है।
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इसे 1 घंटे में 100 मिमी से अधिक वर्षा की स्थिति माना जाता है।
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इस बार सहस्त्रधारा में 24 घंटे में 264 मिमी बारिश हुई, जिससे नदियां और नाले उफान पर आ गए।
निष्कर्ष
उत्तराखंड एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। बादल फटने से हुई तबाही ने न सिर्फ कई परिवारों की जिंदगियां उजाड़ दीं बल्कि करोड़ों की संपत्ति भी नष्ट हो गई। SDRF और प्रशासन लगातार राहत-बचाव कार्यों में जुटे हैं, लेकिन लापता लोगों की खोज अभी जारी है।