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भारत-रूस पर ट्रंप की टैरिफ नीति नाकाम: पूर्व NSA भड़के

ट्रंप फैसले से टेंशन

भारत-रूस पर ट्रंप की टैरिफ नीति नाकाम: पूर्व NSA भड़के

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भारत-रूस पर ट्रंप की टैरिफ नीति नाकाम: पूर्व NSA भड़के

भारत-रूस पर ट्रंप की टैरिफ नीति बेअसर, पूर्व NSA ने जताई नाराजगी

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने भारत-रूस संबंधों पर बड़ा बयान देते हुए डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना की है। उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ और दबाव की रणनीति अपनाकर भारत और रूस के बीच बढ़ते सहयोग को कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन यह नीति पूरी तरह नाकाम रही।

भारत-रूस

पूर्व NSA ने कहा कि भारत-रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं और केवल टैरिफ लगाकर या व्यापारिक दबाव डालकर इन संबंधों को कमजोर करना संभव नहीं है। भारत ने बार-बार यह साबित किया है कि वह अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखेगा और किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकेगा नहीं।

ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत पर कई टैरिफ लगाए थे। खासकर स्टील और एल्युमिनियम जैसे सेक्टरों में भारत को नुकसान झेलना पड़ा। इसके अलावा रूस के साथ भारत के रक्षा सौदों को लेकर भी अमेरिका ने आपत्ति जताई थी। S-400 मिसाइल सिस्टम की डील पर तो वाशिंगटन ने कई बार चेतावनी दी थी, लेकिन इसके बावजूद भारत ने अपने फैसले से पीछे हटने से इनकार कर दिया।

पूर्व NSA ने कहा कि ट्रंप की इस नीति से न केवल भारत-रूस संबंध और मजबूत हुए बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों में भी अनावश्यक तनाव पैदा हुआ। उन्होंने माना कि इस तरह की रणनीति से एशिया में अमेरिका की स्थिति कमजोर होती है और चीन को इसका फायदा मिलता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने हमेशा “मल्टी-अलाइन्मेंट” की नीति अपनाई है। यानी वह अमेरिका, रूस और अन्य देशों के साथ समानांतर रूप से रिश्ते बनाए रखता है। यही कारण है कि भारत न केवल रूस से हथियार खरीद रहा है बल्कि अमेरिका के साथ भी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ा रहा है।

पूर्व NSA ने स्पष्ट किया कि भारत जैसे देश को मजबूर करने की जगह अमेरिका को उसके साथ सहयोग और विश्वास का रिश्ता बनाना चाहिए। यही एकमात्र तरीका है जिससे एशिया में संतुलन बनाए रखा जा सकता है।