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US Tariffs: भारत ने तांबे पर 50% शुल्क पर मांगा परामर्श

ट्रंप फैसले से टेंशन

S Tariffs: भारत ने तांबे पर 50 फीसदी टैरिफ को लेकर अमेरिका से मांगा परामर्श, जल्द बातचीत होने की उम्मीद

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US Tariffs: भारत ने तांबे पर 50% शुल्क पर मांगा परामर्श

US Tariffs: भारत ने तांबे पर 50% शुल्क को लेकर अमेरिका से मांगा परामर्श

अमेरिका द्वारा तांबे के उत्पादों पर 50% आयात शुल्क लगाए जाने के बाद भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सुरक्षा समझौते के तहत अमेरिका से औपचारिक परामर्श की मांग की है। यह कदम भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव की ओर इशारा करता है।

अमेरिका ने 30 जुलाई 2025 को तांबे के कुछ उत्पादों के सभी आयात पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया था, जो 1 अगस्त से असीमित अवधि के लिए लागू हो गया। भारत का मानना है कि यह कदम सुरक्षा हितों के नाम पर उठाया गया है, लेकिन वास्तव में यह एक सुरक्षा उपाय (Safeguard Measure) है। भारत ने WTO को भेजे पत्र में कहा कि अमेरिका ने इस निर्णय के बारे में WTO की सुरक्षा समिति को सूचित नहीं किया है।

भारत ने इस मामले पर अमेरिका से जल्द से जल्द परामर्श करने और इसके लिए पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि और स्थान तय करने की अपील की है। यह मांग ऐसे समय आई है जब भारत ने पहले भी इस्पात, एल्युमीनियम और वाहन कलपुर्जों पर अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क (Retaliatory Tariffs) लगाने का अधिकार सुरक्षित रखा था।

वैश्विक व्यापार पर असर

WTO की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने कहा कि दुनिया पिछले 80 वर्षों में सबसे बड़े व्यापारिक व्यवधान से गुजर रही है। WTO की शर्तों पर होने वाले वैश्विक व्यापार का हिस्सा घटकर 72% पर आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उच्च आयात शुल्क लगाने की प्रवृत्ति ने इस गिरावट को और तेज किया है।

WTO का सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (Most Favoured Nation – MFN) सिद्धांत सभी देशों के साथ समान व्यापारिक व्यवहार की गारंटी देता है। हालांकि, हाल के वर्षों में अमेरिका सहित कई देशों द्वारा एकतरफा टैरिफ लगाने से इस सिद्धांत की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।

निष्कर्ष

भारत और अमेरिका के बीच यह परामर्श न केवल द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के लिए महत्वपूर्ण होगा बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए भी अहम संकेत देगा। WTO के मंच पर इस विवाद का समाधान भविष्य के व्यापारिक समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।